विज्ञापन
Home  dharm  vrat  vaisakh masik shivratri 2024 date puja vidhi and importance in hindi

Masik Shivratri 2024: वैशाख मास की मासिक शिवरात्रि पर ऐसे करें शिव जी की पूजा, जानें विधि और महत्व

jeevanjali Published by: निधि Updated Wed, 01 May 2024 06:36 PM IST
सार

Masik Shivratri 2024 Date: प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। इस समय वैसाख माह चल रहा है और इस माह की शिवरात्रि आज यानी 06 मई को है।

Masik Shivratri 2024 Date
Masik Shivratri 2024 Date- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Masik Shivratri 2024 Date: प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। इस समय वैसाख माह चल रहा है और इस माह की शिवरात्रि आज यानी 06 मई को है। मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत रखा जाता है और शिव जी की पूजा की जाती है। भगवान भोलेनाथ को समर्पित यह तिथि शिव भक्तों के लिए बहुत खास होती है। मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि पर विधि पूर्वक पूजन करने से भगवान शिव अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करते हैं। साथ ही सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। ऐसी मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन मध्यरात्रि में शिव जी और मां पार्वती की पूजा करने से भक्तों पर महादेव की कृपा बनी रहती है। ऐसे में चलिए जानते हैं मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि और महत्व... 

विज्ञापन
विज्ञापन
वैसाख मासिक शिवरात्रि  शुभ मुहूर्त
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, वैशाख कृष्ण चतुर्दशी तिथि सोमवार, 6 मई को दोपहर 02:40 बजे शुरू होगी और यह मंगलवार, 7 मई को रात 11:40 बजे तक वैध रहेगी। वैशाख मासिक शिवरात्रि 6 मई को निशिता पूजा के आधार पर मनाई जाएगी। मुहूर्त. उस दिन व्रत रखा जाएगा और भोलेनाथ की पूजा की जाएगी।

मासिक शिवरात्रि पूजा विधि
- मासिक शिवरात्रि के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें। 
- इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा भी करनी चाहिए। 
- शिव जी के समक्ष पूजा स्थान में दीप प्रज्वलित करें। 
- यदि घर पर शिवलिंग है तो दूध, और गंगाजल आदि से अभिषेक करें। 
- शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा आदि अवश्य अर्पित करें। 
- पूजा करते समय नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहें। 
- अंत में भगवान शिव को भोग लगाएं और आरती करें।

पूजा के वक्त पढ़ें ये मंत्र
ॐ नमः शिवाय।
नमो नीलकण्ठाय।
ॐ पार्वतीपतये नमः।
ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।
शिव जी की आरती 

ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्द्धांगी धारा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसानन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
पर्वत सोहें पार्वतू, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
जया में गंग बहत है, गल मुण्ड माला।
शेषनाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावे।।
ओम जय शिव ओंकारा।। ओम जय शिव ओंकारा।।
विज्ञापन
विज्ञापन