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Varuthini Ekadashi 2024: वरुथिनी एकादशी पर बन रहे हैं बहुत ही शुभ योग, जानिए करण और नक्षत्र

jeevanjali Published by: कोमल Updated Tue, 30 Apr 2024 06:46 PM IST
सार

Varuthini Ekadashi 2024: एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु संग धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही एकादशी व्रत रखा जाता है। इ

वरुथिनी एकादशी
वरुथिनी एकादशी- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Varuthini Ekadashi 2024: एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु संग धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही एकादशी व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से जातक द्वारा जन्म-जन्मांतर में किए गए सारे पाप कट जाते हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से अपने आराध्य भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो वरुथिनी एकादशी पर शिववास समेत सात शुभ संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक के सभी बिगड़े काम बन जाएंगे। 
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वरुथिनी एकादशी तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि का आरंभ 3 मई शुक्रवार को रात 11 बजकर 23 मिनट से होगा और इस तिथि का अंत 4 मई शनिवार को रात 8 बजकर 37 मिनट पर होगा। इसलिए वरुथनी एकादशी 4 मई को मनाई जाएगी। वहीं वरुथिनी एकादशी का पारण 5 मई को सुबह 5 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर 8 बजकर 16 मिनट तक होगा।

वरुथिनी एकादशी का धार्मिक महत्व

वरूथिनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। वहीं वरुथिनी एकादशी का व्रत अन्नदान, कन्यादान दोनों श्रेष्ठ दानों का फल मिलता है। वहीं आपको बता दें कि इस एकादशी पर भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा- अर्चना की जाती है। 
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वरुथिनी एकादशी शुभ योग

पंचांग के मुताबिक वरुथिनी एकादशी के दिन त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग और वैधृति योग का निर्माण हो  रहा है। ज्योतिष में इन योगों को बेहद शुभ माना गया है। वहीं त्रिपुष्कर और इंद्र योग में पूजा करने का दोगुना फल प्राप्त होता है।

करण

सबसे पहले वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर बव करण का योग बन रहा है। इसके बाद बालव और कौलव करण का योग बन रहा है। इन योगों में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को निश्चित फल की प्राप्ति होगी।

नक्षत्र

ज्योतिषियों के अनुसार वरूथिनी एकादशी पर पूर्वा भाद्रपद और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र का संयोग बन रहा है। पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र रात्रि 10.07 मिनट तक है। ज्योतिष शास्त्र पूर्वा भाद्रपद और उत्तरा भाद्रपद दोनों नक्षत्रों को शुभ मानता है। इस योग में शुभ कार्य किये जा सकते हैं.

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