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Shani Dosh Upay: कब-कब लगता है शनि दोष, जानिए असर कम करने के उपाय

jeevanjali Published by: निधि Updated Thu, 02 May 2024 05:12 PM IST
सार

Shani Dosh Upay: शनि का नाम सुनते ही लोगों के पसीने छूटने लगते हैं। शनि को क्रूर ग्रह माना जाता है, लेकिन शनि एक न्यायप्रिय देवता हैं।

Shani Dosh Upay
Shani Dosh Upay- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Shani Dosh Upay: शनि का नाम सुनते ही लोगों के पसीने छूटने लगते हैं। शनि को क्रूर ग्रह माना जाता है, लेकिन शनि एक न्यायप्रिय देवता हैं। शनि अच्छे कर्म करने वालों को अच्छे परिणाम और बुरे कर्म करने वालों को बुरे परिणाम देते हैं। ऐसे में कई बार व्यक्ति जाने-अनजाने में कुछ गलतियां कर बैठता है जिसके कारण शनि की कुदृष्टि उस पर पड़ जाती है और व्यक्ति शनि दोष से प्रभावित हो जाता है। जब कोई व्यक्ति शनि दोष से पीड़ित होता है तो उसके परेशानी भरे दिन शुरू हो जाते हैं। आज हम आपको शनि दोष से जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में बताएंगे।

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शनि दोष किसे कहते हैं।
शनि बहुत ही धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं। जब किसी जातक की कुंडली में शनि अशुभ भाव में आकर बैठ जाते हैं तो शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या आरंभ हो जाती है। इसमें जातकों को कई तरह के कष्ट भोगने पड़ते हैं। इसे ही शनि दोष कहते है। 

कब-कब लगता है शनि दोष
कई स्थितियों में किसी जातक के ऊपर शनि दोष चढ़ता है।
- शनि जब मेष राशि होता है तो उसे नीच का माना जाता है।
- जब शनि शत्रु राशि को हो जाता है तब भी शनि दोष पैदा हो जाता है। ऐसे में जातक को शनि परेशान करते हैं।
- शनि सूर्य और चंद्रमा के साथ युति बनाने पर शनि दोष पैदा होता है।

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क्या है शनि साढ़ेसाती
ज्योतिष गणना के अनुसार चंद्र राशि से जब शनि 12वें भाव, पहले भाव व द्वितीय भाव में रहता तो उस अवधि को शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है। 

शनि की ढैय्या
जब गोचर में जन्म राशि से चतुर्थ और अष्टम भाव में रहता है तब इसे शनि की ढैय्या कहते हैं। शनि की ढय्या एक राशि पर साढ़े सात साल और दूसरी पर लगभग 16 साल में आती है।

शनि दोष से बचने के उपाय
- शनि के दोष से बचने या उसका प्रभाव कम करने के लिए शनिदे पूजा करनी चाहिए और तेल और उड़द का दान करना चाहिए।
- शनि दोष से बचने के लिए हनुमान जी उपासना करनी चाहिए। शनि हनुमान भक्तों को कभी भी परेशान नहीं करते हैं।
- शनि मंत्र के जाप से भी शनि दोष कम होता है।
- शनि दोषों से मुक्ति के लिए शनिवार, शनि अमावस्या और शनि जयंती के अवसर पर उनकी विशेष पूजा करनी चाहिए।

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