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Lord Shiva: सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा है फलदायी,पढ़ें शिव के अर्धनारीश्वर रूप की रोचक कथा
jeevanjali Published by: निधि Updated Sat, 30 Dec 2023 05:11 PM IST
सार
Shiva Ardhnarishwar: भगवान शिव ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा और मंत्र जाप से वे प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी कर उनका कल्याण करते हैं। ऐसा माना जाता है कि शिव की पूजा बहुत सरल है और उन्हें एक लोटे जल से भी प्रसन्न किया जा सकता है।
शिव अर्धनारीश्वर- फोटो : jeevanjali
विस्तार
Shiva Ardhnarishwar: भगवान शिव ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा और मंत्र जाप से वे प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी कर उनका कल्याण करते हैं। ऐसा माना जाता है कि शिव की पूजा बहुत सरल है और उन्हें एक लोटे जल से भी प्रसन्न किया जा सकता है। शिव मंत्र का जाप करते हुए मात्र एक बेलपत्र या शमी चढ़ाने से भी उनकी कृपा बरसने लगती है। शिव की अराधना के लिए सोमवार का दिन उत्तम माना गया है,विशेष रूप से इस दिन इनकी उपासना करने से मनुष्य के तीनों ताप दूर होते हैं। इस दिन पूजा के साथ-साथ भगवान शिव की कथा पढ़ने या सुनने से सुख और शांति मिलती है।
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भोलेनाथ को गंगाधर, नीलकंठ, अर्धनारीश्वर जैसे उनके कई रूपों में पूजा जाता है। अर्धनारीश्वर भगवान शिव का शुद्ध रूप है, इस रूप में उनमें शक्ति भी है। अर्धनारीश्वर स्वरूप का अर्थ है आधी स्त्री और आधा पुरुष। भगवान शिव के इस अर्धनारीश्वर रूप के आधे भाग में पुरुष रूप शिव और दूसरे आधे में स्त्री रूप शिव यानि शक्ति निवास करती हैं। आइए आज जानते हैं कि भगवान शिव अर्धनारीश्वर कैसे हुए।
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अर्धनारीश्वर बनें की पौराणिक कथा
शिवपुराण की कथा के अनुसार ब्रह्माजी को सृष्टि की रचना का कार्य सौंपा गया था, तब तक भगवान शिव ने केवल विष्णुजी और ब्रह्माजी का ही अवतार लिया था और किसी स्त्री का जन्म नहीं हुआ था। जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि का कार्य आरंभ किया तो उन्हें पता चला कि जीवन के बाद उनकी सभी रचनाएँ नष्ट हो जाएँगी और उन्हें हर बार नए सिरे से रचना करनी होगी। उनके सामने यह एक बहुत ही बड़ी दुविधा थी कि इस तरह से सृष्टि की वृद्धि आखिर कैसे होगी। तभी एक आकाशवाणी हुई कि- 'वे मैथुनी यानी प्रजनन सृष्टि का निर्माण करें,ताकि सृष्टि को बेहतर तरीके से संचालिक किया जा सके'।
अब उनके सामने एक नई दुविधा थी कि आखिर वो मैथुनी सृष्टि का निर्माण कैसे करें। काफी सोच-विचार के बाद वह भगवान शिव के पास पहुंचे और शिव को प्रसन्न करने के लिए ब्रह्मा जी ने कठोर तपस्या की और भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए। ब्रह्मा जी के तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने अर्धनारीश्वर स्वरूप में दर्शन दिया। जब वे इस रूप में अवतरित हुए तो उनके आधे शरीर में साक्षात शिव और आधे में नारी रूप यानी शक्ति के दर्शन हुए। उन्हें इस रूप में देखकर, भगवान शिव ने ब्रह्मा को एक प्रजनन प्राणी बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने ब्रह्मा जी से कहा कि मेरे इस अर्धनारीश्वर स्वरूप के जिस आधे हिस्से में शिव हैं वो पुरुष है और बाकी के आधे हिस्से में जो शक्ति है वो स्त्री है। आपको स्त्री और पुरुष दोनों की मैथुनी सृष्टि की रचना करनी है,जो प्रजनन के ज़रिए सृष्टि को आगे बढ़ा सके। भगवान ब्रह्मा की स्तुति से प्रसन्न होकर शक्ति ने अपनी भौंह के मध्य से अपने ही समान तेज वाली एक और शक्ति को उत्पन्न किया, जिसने हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया और महादेव से मिलीं।