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Bhagvan krishna: कारागार में ही क्यों हुआ भगवान श्रीकृष्ण का जन्म नहीं जानते होंगे ये रहस्य !

jeevanjali Published by: कोमल Updated Fri, 29 Dec 2023 04:00 PM IST
सार

Bhagvan krishna: श्रीकृष्ण हिन्दू धर्म के भगवान हैं वे विष्णु के 8वें अवतार माने जाते हैं इन्हें कन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी जाना जाता है। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था

कृष्ण
कृष्ण- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Bhagvan krishna: श्रीकृष्ण हिन्दू धर्म के भगवान हैं वे विष्णु के 8वें अवतार माने जाते हैं इन्हें कन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी जाना जाता है। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष, युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है। कृष्ण के समकालीन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तृत रूप से लिखा गया है।  भगवद्गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद है जो ग्रंथ आज भी पूरे विश्व में लोकप्रिय है इस उपदेश के लिए कृष्ण को जगतगुरु का सम्मान भी दिया जाता है चलिए आपको बताते हैं कि भगवान कृष्ण का जन्म कैसे हुआ 
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कैसे हुआ भगवान कृष्ण का जन्म

कहते हैं कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र के दिन रात्री के 12 बजे हुआ था। कृष्ण वसुदेव और देवकी की 8वीं संतान थी। श्रीमद्भागवत  के अनुसार द्वापरयुग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज करते थे  उनका एक आततायी पुत्र कंस था और कंस ने अपने पिता को कारगर में डाल दिया और स्वयं मथुरा का राजा बन गया था  उसकी एक बहन देवकी थी देवकी का विवाह वसुदेव के साथ हुआ था। 
 

अपनी मृत्यु को लेकर कंस ने सुनी आकाशवाणी

जब कंस अपनी बहन को उसके ससुराल छो़ड़ने जा रहा था तब कंस ने आकाशवाणी सुनी कि, कंस की मृत्यु उनके भानजे यानि देवकी की 8 वी संतान के हाथों होगी। इसी कारण कंस ने अपनी बहन और बहनोई को भी मथुरा के कारगर में कैद कर दिया था और एक के बाद एक देवकी की सभी संतानों को मार दिया था

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आधी रात में हुआ भगवान कृष्ण का जन्म

 कृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ तब कारागार के द्वार स्वतः ही खुल गए और सभी सिपाही निंद्रा में चले गए वासुदेव के हाथों में लगी बेड़िया भी खुल गई। उसी दिन गोकुल के निवासी नन्द की पत्नी यशोदा को भी संतान का जन्म होने वाला था। वासुदेव अपने पुत्र को सूप में रखकर कारागृह से निकल पड़े और कंस के डर से वसुदेव ने अपने नवजात बालक को रात में ही यमुना पार कर के गोकुल में यशोदा के यहाँ पहुँचा दिया था और एक अन्य शिशु बालिका के साथ उनका आदान- प्रदान कर दिया था। जब कंस को पता चला की उसकी बहन ने एक बालिका शिशु को जन्म दिया है तो पहले की तरह ही शिशु को मारने के लिए कारागार में जाता है और वहां जाकर उस नवजात शिशु को मारने का प्रयास करता है। तब शिशु बालिका हिंदू देवी दुर्गा के रूप में प्रकट होती है और उसे चेतावनी देती है कि, उनकी मृत्यु उसके राज्य में आ गई है और बहुत जल्द ही उसे उसके पापो का परिणाम मिल जाएगा औऱ यह कहकर वह शक्ति गायब हो जाती है.

कैसे हुआ भगवान कृष्ण का लालन पोषण

पुराणों में किंवदंतियों के अनुसार कृष्ण, नंद और उनकी पत्नी यशोदा के साथ आधुनिक काल के मथुरा के पास रहते है। गोकुल में उनका लालन- पालन होता है  यशोदा और नन्द उनके पालक माता- पिता थे और  पौराणिक कथाओं के अनुसार कृष्ण अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रहते थे बाल्यावस्था में ही उन्होंने बड़े-बड़े कार्य किए जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए सम्भव नहीं थे  उनके जन्म के कुछ समय बाद ही कंस ने कृष्ण को मारने का आदेश राक्षसनी पूतना को देते हुए गोकुल भेजा, लेकिन श्री कृष्ण को भला पूतना कहा मार सकती थी और पूतना द्वारा कृष्ण को स्तनपान कराने पर उन्होंने पूतना को काट लिया जिसके दर्द के कारण पूतना मर गई 

भगवान कृष्ण को मारने के लिए कंस ने भेजे एक के बाद एक राक्षस

कंस को अपनी मृत्यु का भय तो सता ही रहा था इसलिए उसने फिर एक राक्षस कृष्ण को मारने के लिए भेजा। जिस समय कृष्ण अपने मित्रों के साथ खेल रहे थे उस समय राक्षस बगुले का रुप धारण कर आया, जिससे उनके सभी मित्र डर गए। लेकिन श्री कृष्ण कहां डरने वाले थे उन्होंने उस बगुले के पैर को पकड़ा और मित्रों से बोले देखो ये कुछ नहीं करता। उसी दौरान बगुले ने उनपर हमला कर दिया लेकिन कृष्ण ने उसका वध कर उसे नर्क लोक पहुंचा दिया तभी से उस राक्षस का नाम वकासुर पड़ गया। वकासुर के बाद कालिया नाग और कालिया नाग जैसे सभी राक्षसों का एक-एक कर श्री कृष्ण ने वध कर दिया और अंततः वृंदावन में कालिया और धनुक का वध करने के बाद कंस समझ गया था कि, ज्योतिष भविष्यवाणी के बाद इतना बल शाली किशोर देवकी और वासुदेव के पुत्र ही हो सकते हैं और उन्हें मथुरा आने का न्यौता दिया 
 

कृष्ण और बलराम पहुंचे मथुरा 

जिसके बाद कृष्ण और बलराम मथुरा पहुंचे मथुरा पहुंचने के बाद उन्होंने शिरोमणि चाणूर और मुष्टिक को मारकर कंस का भी वध कर दिया... कंस का वध करने के बाद पिता उग्रसेन को फिर से राजा बना दिया गया इसके बाद में श्री कृष्ण ने सौराष्ट्र में द्वारका नगरी की स्थापना की और वहाँ अपना राज्य बसाया और पांडवों की मदद की विभिन्न संकटों से उनकी रक्षा की। 124 वर्षों के जीवनकाल के बाद उन्होंने अपनी लीला समाप्त की। उनके अवतार समाप्ति के तुरंत बाद परीक्षित के राज्य का कालखंड आता है। राजा परीक्षित जो कि अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र तथा अर्जुन के पौत्र थे। उस के समय से ही कलियुग का आरंभ माना जाता है 


 

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