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Trimbakeshwar Mandir Jyotirlinga:कैसे पहुंचे त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग,जानिए पूजा समय और पौराणिक कथा
jeevanjali Published by: कोमल Updated Sun, 03 Mar 2024 06:53 PM IST
सार
Trimbakeshwar Mandir Jyotirlinga: त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर महादेव के 12 ज्योतिर्लिंग मंदिर में से एक ज्योतिर्लिंग मंदिर है। यह मंदिर महाराष्ट्र के नासिक ज़िले में पंचवटी से लगभग अठारह मील की दूरी पर गोदावरी नदी कें किनारे स्थित है।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर ज्योतिर्लिंग- फोटो : jeevanjali
विस्तार
Trimbakeshwar Mandir Jyotirlinga: त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर महादेव के 12 ज्योतिर्लिंग मंदिर में से एक ज्योतिर्लिंग मंदिर है। यह मंदिर महाराष्ट्र के नासिक ज़िले में पंचवटी से लगभग अठारह मील की दूरी पर गोदावरी नदी कें किनारे स्थित है। अत्यंत प्राचीन त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के अंदर एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे-छोटे शिवलिंग हैं। इन तीन शिवलिंग को ब्रह्मा, विष्णु और शिव के नाम से जाना जाता हैं। ये शिवलिंग स्वयं प्रकट हुए है, यानी इसे किसी ने स्थापित नहीं किया था। गौतम ऋषि और गोदावरी नदी ने भगवान शिव से यहां निवास करने के लिए प्रार्थना की थी, इसलिए यहां भगवान शिव यहाँ त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास करते है।
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त्र्यंबकेश्वर मंदिर की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं में त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में वर्णन मिलता है कथा के अनुसार ब्रह्मगिरी पर्वत पर देवी अहिल्या के पति ऋषि गौतम रहते थे लेकिन यहां रहने वाले दूसरे ऋषि उनसे ईष्या करते थे। एक बार सारे ऋषियों ने मिलकर गौतम ऋषि पर गोहत्या का आरोप लगा दिया और सारे ऋषियों ने मिलकर गौतम ऋषि से कहा कि आपको इस पापा का प्रायश्चित करना पड़ेगा। और इसके लिए आपको यहां पर गंगा का पानी लाना होगा।इस पर गौतम ऋषि ने शिवलिंग की स्थापना की और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या करने लगे। और भगवान शिव ने तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिया। शिवजी ने गौतम ऋषि से वर मांगने के लिए कहा। तब गौतम ऋषि ने गंगा माता को इस स्थान पर उतारने का वर मांगा। लेकिन गंगा माता ने कहा कि वे तभी इस स्थान पर उतरेंगी जब भगवान शिव यहां रहेंगे। भगवान शिव ने उनकी बात स्वीकार की और यहां त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप निवास करने लगे। त्र्यंबकेश्वर मंदिर के पास से ही गंगा नदी अविरल बहने लगी आपको बता दें कि इस नदी को यहां गौतमी नदी के नाम से भी जाना जाता है।
त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग में कालसर्प दोष और पितृदोष की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों की जन्म कुंडली में ये दोष पाया जाता है, वह व्यक्ति त्र्यंबकेश्व में आकर पूजा करे तो यह दोष खत्म हो जाता है। आपको बता दें कि त्र्यंबकेश्वर मंदिर भगवान शिव का अति प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में तीन शिवलिंगों की पूजा की जाती है। जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और शिव के नाम से जाना जाता है। मंदिर के पास तीन पर्वत स्थित हैं, जिन्हें ब्रह्मगिरी, नीलगिरी और गंगा द्वार कहा जाता है। ब्रह्मगिरी पर्वत को भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है. वहीं नीलगिरी पर्वत पर नीलाम्बिका देवी और दत्तात्रेय गुरु का मंदिर है और गंगा द्वार पर्वत पर देवी गोदावरी मंदिर है। आपको बता दें कि यहां पर स्थित शिवलिंग को किसी के द्वारा स्थापित नहीं किया गया है बल्कि यह शिवलिंग अपने आप प्रकट हुआ है।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर दर्शन समय क्या है?
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर सप्ताह के प्रत्येक दिन खुला होता है।
खुलने का समय प्रातः 5: 00 बजे से सांय 9: 00 बजे तक होता है।
मंदिर में शिव लिंग के सामान्य दर्शन 5 मीटर दूरी से किए जाते हैं यदि कोई विशेष पूजा करना चाहता है।
तो उन्हें गर्भ गृह में जाने की अनुमति होती है तथा वह लिंग को स्पर्श भी कर सकते हैं।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर में पूजा और आरती का समय
मंगल आरती का समय प्रातः 5: 30 से 6: 00 तक का होता है।
अंतरालय अभिषेक ( मंदिर के अंदर) प्रतिदिन प्रातः 6: 00 बजे से प्रातः 7: 00 बजे तक होता है।
अभिषेक (मंदिर के बाहर ) प्रातः 6: 00 बजे से दोपहर 12: 00 बजे तक होता है।
विशेष पूजा जैसे कि रुद्राभिषेक , महामृत्युंजय जप, इत्यादि का समय प्रातः 7: 00 से 9: 00 बजे तक का होता है।
मध्यान्ह पूजा 1: 00 बजे दोपहर से 1: 30 बजे दोपहर तक होती है।
संध्या पूजा 7: 00 बजे से रात्रि 9: 00 बजे तक होती है।
भगवान शिव के स्वर्ण मुकुट के दर्शन 4: 30 बजे से 5: 00 बजे तक होते हैं।
उपरोक्त सभी समय विशेष त्योहारों या विशेष दिवस पर परिवर्तित भी हो सकते हैं।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर तक कैसे पहुंचें:
वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा नासिक में है जो त्र्यंबकेश्वर से 54 किमी दूर है सड़क: बसें औरंगाबाद , मुंबई , पुणे , नागपुर और महाराष्ट्र के अन्य नजदीकी शहरों से जुड़ रही हैं। रेलमार्ग : निकटतम स्टेशन नासिक मंदिर से 29.5 किमी दूर है।