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Somnath Mandir Jyotirlinga: कैसे पहुंचे सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, जानिए पूजा समय और पौराणिक कथा
jeevanjali Published by: कोमल Updated Fri, 01 Mar 2024 05:50 PM IST
सार
Somnath Mandir Jyotirlinga: पूरे भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग स्थित हैं। पहला ज्योतिर्लिंग गुजरात राज्य के सौराष्ट्र शहर में अरब सागर के तट पर स्थित है और इसे सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग- फोटो : jeevanjali
विस्तार
Somnath Mandir Jyotirlinga: पूरे भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग स्थित हैं। पहला ज्योतिर्लिंग गुजरात राज्य के सौराष्ट्र शहर में अरब सागर के तट पर स्थित है और इसे सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। इस ज्योतिर्लिंग के बारे में मान्यता है कि यह प्रत्येक सृष्टि काल में यहीं विद्यमान रहा है। देश की आजादी के बाद भगवान शिव के इस पवित्र ज्योतिर्लिंग का पुनर्निर्माण भारत के तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने कराया था। शिव के इस भव्य पवित्र धाम में प्रतिदिन शिव भक्तों का तांता लगा रहता है। आइये आपको बताते हैं कि कैसे हुई थी प्रथम ज्योतिर्लिंग की स्थापना।
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सोमनाथ मंदिर की पौराणिक कथा
आपको बता दें कि स्कंद पुराण के अनुसार राजा दक्ष ने अपनी 27 पुत्रियों का विवाह चंद्रमा से किया था। परंतु चंद्रमा का प्रेम केवल रोहिणी से था। जिसके कारण शेष छब्बीस रानियाँ स्वयं को उपेक्षित और अपमानित महसूस करने लगीं। उन्होंने इसकी शिकायत अपने पिता दक्ष से की। अपनी पुत्रियों का दर्द देखकर राजा दक्ष ने चंद्र देव को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने। इस पर राजा दक्ष ने चंद्रमा को धीरे-धीरे लुप्त हो जाने का श्राप दे दिया। इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए चंद्रमा ने ब्रह्मदेव के कहने पर प्रभास क्षेत्र में भगवान शिव की कठोर तपस्या की। चंद्र देव ने शिवलिंग स्थापित कर उनकी पूजा की और चंद्र की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें श्राप से मुक्त कर दिया और अमरता का आशीर्वाद दिया।
इस शाप और वरदान के कारण चंद्रमा 15 दिन तक बढ़ता है और 15 दिन तक घटता है। कहा जाता है कि श्राप से मुक्त होने के बाद चंद्रमा ने भगवान शिव से उनके द्वारा बनाए गए शिवलिंग में निवास करने की प्रार्थना की और तभी से इस शिवलिंग की पूजा सोमनाथ ज्योतिर्लिंग में की जाने लगी। मान्यता है कि सोमेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजन से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस स्थान को 'प्रभास पट्टन' के नाम से भी जाना जाता है।
अब तक कितनी बार बदला है सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का नाम?
स्कंद पुराण के प्रभासखंड में उल्लेख है कि हर नई रचना के साथ सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का नाम बदल जाता है। इसी क्रम में जब वर्तमान सृष्टि का अंत होगा और ब्रह्मा जी नई सृष्टि की रचना करेंगे, तब सोमनाथ का नाम 'प्राणनाथ' होगा। वहीं स्कंद पुराण के प्रभास खंड में पार्वती के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए महादेव कहते हैं कि अब तक सोमनाथ के आठ नाम हैं। मंदिर में सोमनाथ के सेवक नंदी महाराज बैठे हैं और भगवान शिव का ध्यान कर रहे हैं। इसके साथ ही स्कंद पुराण में बताया गया है कि सृष्टि में अब तक छह ब्रह्मा हो चुके हैं। और यह सातवें ब्रह्मा का युग है, और इस ब्रह्मा का नाम 'शतानंद' है। शिव जी कहते हैं कि इस युग में मेरा नाम सोमनाथ है।
इससे पहले जो ब्रह्मा थे उनका नाम विरंचि था । उस समय इस शिवलिंग का नाम मृत्युंजय था। जबकि महादेव कहते हैं कि दूसरे कल्प में ब्रह्मा जी पद्मभू नाम से जाने जाते थे, उस समय सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का नाम कालाग्निरुद्र था। और तीसरे ब्रह्मा की रचना स्वयंभू नाम से हुई, उस समय सोमनाथ का नाम अमृतेश हो गया। सोमनाथ मंदिर के विषय में शिव जी कहते हैं कि चौथे ब्रह्मा का नाम परमेष्ठी था, उन्हीं दिनों सोमनाथ अनामय नाम से प्रसिद्ध हुआ। जब पांचवें ब्रह्मा सुरज्येष्ठ हुए तो इस ज्योतिर्लिंग का नाम कृत्तिवास पड़ा। छठे ब्रह्मा को हेमगर्भ कहा जाता था, उनके काल में सोमनाथ को भैरवनाथ कहा जाता था।
सोमनाथ मंदिर का रहस्य
सोमनाथ मंदिर का रहस्य गुजरात के सोमनाथ मंदिर के बारे में कई रहस्य हैं, जो इसे अद्भुत और रहस्यमय बनाते हैं। यहां कुछ प्रमुख रहस्यों का उल्लेख किया जा रहा है।
इतिहास: सोमनाथ मंदिर का इतिहास भारतीय इतिहास के विभिन्न युगों में समृद्ध है। इसका कई बार निर्माण और पुनर्निर्माण किया गया है, और यह धार्मिक और राजनीतिक बहसों से घिरा हुआ है।
धार्मिक महत्व : सोमनाथ मंदिर हिंदू धर्म के प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसलिए धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी यह एक रहस्यमय स्थान है।
निर्माण तकनीक: सोमनाथ मंदिर की निर्माण तकनीक अद्वितीय है। इस मंदिर का निर्माण इतने भारी और विस्तृत पत्थरों से किया गया है कि यह अद्भुत और सुरक्षित लगता है। इसके अंदर रहस्यमयी गुफाएं और चंदन के पेड़ों के जंगल भी हैं।
नागर वास्तुशास्त्र: सोमनाथ मंदिर प्राचीन भारतीय वास्तुशास्त्र के अनुसार बनाया गया है। इसमें नागरआर्किटेक्ट का प्रभाव है, जो इसे और भी रहस्यमय बनाता है।
गुप्त रहस्य: सोमनाथ मंदिर में गुप्त गुफाएं भी हैं, जो इसे और भी रहस्यमय बनाती हैं। इन गुप्त गुफाओं का उपयोग प्राचीन काल में तपस्वियों और तपस्वियों द्वारा किया जाता था।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग कैसे जाएं?
हवाई मार्ग- सोमनाथ का निकटतम हवाई अड्डा राजकोट है, जो शहर से 195 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां से कई उड़ानें संचालित होती हैं, जो शहर को गुजरात के साथ-साथ देश के विभिन्न हिस्सों से जोड़ती हैं।
ट्रेन द्वारा - सोमनाथ भारतीय रेलवे के पश्चिमी रेलवे नेटवर्क पर स्थित है। यह शहर कई ट्रेनों के माध्यम से देश के बाकी हिस्सों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। ऐसी कई एक्सप्रेस और लोकल ट्रेनें हैं जो प्रतिदिन चलती हैं और अहमदाबाद से गिरसोमनाथ तक यात्रा के लिए बिल्कुल उपयुक्त हैं।
सड़क मार्ग द्वारा-सोमनाथ अच्छे सड़क नेटवर्क के माध्यम से देश के बाकी हिस्सों से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम गिरसोमनाथ को गुजरात और देश के अन्य राज्यों के सभी प्रमुख शहरों और कस्बों से जोड़ने वाली बसें चलाता है।
दर्शन, आरती और लाइट-साउंड शो का समय
मंदिर सुबह 6 बजे दर्शन के लिए खुलता है और रात 9 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है। मंदिर में तीन बार आरती की जाती है। इस प्रकार भक्त सुबह 7 बजे, फिर दोपहर 12 बजे और फिर शाम 7 बजे आरती में शामिल हो सकते हैं।
अगर आप 'जय सोमनाथ' लाइट एंड साउंड शो देखना चाहते हैं तो आपको रात 8 बजे तक वहां पहुंचना होगा। यह शो रात 8 बजे शुरू होता है और 9 बजे तक चलता है।