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Nageshwar Mandir Jyotirlinga: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे,जानिए पूजा समय और पौराणिक कथा
jeevanjali Published by: कोमल Updated Mon, 04 Mar 2024 03:06 PM IST
सार
Nageshwar Mandir Jyotirlinga: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात में श्रीकृष्ण की द्वारका से करीब 20 किमी दूर शिव जी का दसवां ज्योतिर्लिंग नागेश्वर स्थित है। जो श्रद्धालु द्वारका आते हैं, वे नागेश्वर मंदिर भी जरूर पहुंचते हैं।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग- फोटो : jeevanjali
विस्तार
Nageshwar Mandir Jyotirlinga: नागेश्वर ज्योतिर्लिंगगुजरात में श्रीकृष्ण की द्वारका से करीब 20 किमी दूर शिव जी का दसवां ज्योतिर्लिंग नागेश्वर स्थित है। जो श्रद्धालु द्वारका आते हैं, वे नागेश्वर मंदिर भी जरूर पहुंचते हैं। मान्यता है कि यहां दर्शन और पूजन करने से भक्तों की कुंडली में कालसर्प, सर्प दोष जैसे अशुभ योगों का असर कम होता है। मंदिर में भक्त नाग-नागिन के मूर्तियां भी अर्पित करते हैं। शिवपुराण की रुद्र संहिता में शिव जी को नागेशं दारुकावने कहा गया है। नागेश्वर का अर्थ है नागों के ईश्वर। मंदिर की मान्यताएं पांडवों से भी जुड़ी हैं। माना जाता है कि इस क्षेत्र में शिव जी ने दारुक नाम के दैत्य का वध किया था।
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नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार दारुका नाम की एक राक्षस कन्या थी, उसे दारुका वन में जाने की अनुमति नहीं थी. उसने कठिन तपस्या कर माता पार्वती को प्रसन्न कर लिया था. माता पार्वती ने दारुका से वरदान मांगने को कहा था तो राक्षसी ने वह दारुका वन में कई प्रकार की दैवीय औषधियां. उसने देवी पार्वती से सद्कर्मों के लिए राक्षसों को वन में जाने का वरदान मांगा.देवी पार्वती राक्षसी के विचारों से प्रसन्न हुई और उन्होंने उसे दारुका वन में जाने का वर दान दे दिया लेकिन वरदान मिलते ही दारुका और अन्य राक्षसों ने वन को देवताओं से छीन लिया. वन में एक सुप्रिया नाम की शिवभक्त थी जिसे दारुका ने बंदी बना लिया था.
इसके बाद सुप्रिया ने शिव की तपस्या की और उनसे राक्षसों के नाश का वरदान मांगा. सुप्रिया ने शिव जी की तपस्या करके राक्षसों से खुद का बचाव और उनका नाश की प्रार्थना की. अपनी परम भक्त की रक्षा के लिए भगवान शिव दिव्य ज्योति के रूप में एक बिल से प्रकट हुए. महादेव ने राक्षसों से विनाश कर दिया. सुप्रिया ने उस ज्योतिर्लिंग का विधिवत पूजन किया और शिवजी से इसी स्थान पर स्थित होने का आग्रह किया। भगवान शिव अपने भक्त का आग्रह मान कर वहीं स्थित हो गे. इस प्रकार ज्योतिर्लिंग स्वरूप भगवान शिव ‘नागेश्वर’ कहलाए.
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नागेश्वर मंदिर की मान्यता
ऐसा माना जाता है कि नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर राक्षस दंपत्ति दारुका और दारुकी की शक्तिशाली कथा से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, राक्षसों ने सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा से अजेय होने का वरदान मांगा। हालाँकि, अपनी नई शक्तियों के साथ, वे अत्याचारी बन गए और दिव्य प्राणियों और ऋषियों को पीड़ा देना शुरू कर दिया। परेशान देवताओं ने भगवान शिव से सुरक्षा की प्रार्थना की। उनकी विनती सुनकर, भगवान शिव प्रकाश के एक उग्र स्तंभ के रूप में उभरे और एक भयंकर युद्ध में उन्होंने राक्षसों को परास्त कर दिया। ऐसा माना जाता है कि नागेश्वर ज्योतिर्लिंग वह स्थान है जहां भगवान शिव देवताओं को दारुका और दारुकी के अत्याचार से बचाने के लिए एक अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे।
नागेश्वर मंदिर का महत्व
नागेश्वर मंदिर का महत्व यह है कि यह शक्तिशाली ज्योतिर्लिंग भक्तों को हर तरह के जहर से बचाता है। भक्तों का यह भी मानना है कि जो भगवान से प्रार्थना करता है वह जहर यानी नकारात्मकताओं से मुक्त हो जाता है। नागेश्वर का लिंग अद्वितीय है क्योंकि इसमें एक पत्थर शामिल है जिसे द्वारका पत्थर के नाम से जाना जाता है ।
मंदिर दर्शन के लिए सुबह 6 बजे खुलता है और दोपहर 12.30 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है। सुबह का समय वह समय होता है जब भक्त शिवलिंग पर दूध चढ़ाते हैं।
मंदिर शाम को 5 बजे दर्शन के लिए खुलता है और रात 9:30 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है। शाम का समय वह समय होता है जब भक्त संध्या आरती की सुंदरता में खो जाते हैं।
यदि आप मंदिर को उसके पूर्ण वैभव में देखना चाहते हैं तो आप पूर्णिमा की शाम को इसके दर्शन कर सकते हैं। इसके अलावा महा शिवरात्रि पर मंदिर में कई विशेष गतिविधियां होती हैं जिसके लिए मंदिर पूरे दिन और रात खुला रहता है। नागेश्वर जाने और दर्शन के बाद पूजा करने का यह सबसे शुभ समय है।
कैसे पहुंचे नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
इस ज्योतिर्लिंग का करीबी एयरपोर्ट पोरबंदर है। यहां से मंदिर करीब 125 दूर है। नागेश्वर का करीबी रेलवे स्टेशन द्वारका है। द्वारका से मंदिर करीब 20 किमी दूर है। पोरबंदर और द्वारका से नागेश्वर मंदिर तक आने के लिए बसें, टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं।