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Kedarnath Mandir Jyotirlinga: कैसे पहुंचे केदारनाथ ज्योतिर्लिंग,जानिए पूजा समय और पौराणिक कथा

jeevanjali Published by: कोमल Updated Sat, 02 Mar 2024 06:14 PM IST
सार

Kedarnath Mandir Jyotirlinga: केदारनाथ धाम भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। और यह उत्तराखंड का सबसे बड़ा शिव मंदिर है। कहा जाता है कि यहां हवा सीधे स्वर्ग से आती है। केदारनाथ धाम का निर्माण पाषाण खंडों को जोड़कर किया गया है

केदारनाथ
केदारनाथ- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Kedarnath Mandir Jyotirlinga:  केदारनाथ धाम भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। और यह उत्तराखंड का सबसे बड़ा शिव मंदिर है। कहा जाता है कि यहां हवा सीधे स्वर्ग से आती है। केदारनाथ धाम का निर्माण पाषाण खंडों को जोड़कर किया गया है और यह ज्योतिर्लिंग आकार में त्रिकोणीय है। वहीं मंदिर के बाहर प्रांगण में नंदी बैल वाहन के रूप में विराजमान हैं। यह धाम मंदाकिनी नदी के तट पर 3581 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
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केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा 

पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत युद्ध में पांडवों ने विजय प्राप्त कर अपने भाईयों की हत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे. पाप का प्राश्चित करने के लिए वह कैलाश पर्वत पर महादेव के पास पहुंचे लेकिन शिव ने उन्हें दर्शन नहीं दिए और अंतर्ध्यान हो गए. पांडवों ने हार नहीं मानी और शिव की खोज में केदार पहुंच गए.

शिव ने क्यों लिया बैल रूप

पांडवों के आने की भनक लगते ही भोलेनाथ ने बैल का रूप धारण कर लिया और पशुओं के झुंड में मिल गए. पांडव शिव को पहचान न पाए लेकिन फिर भीम ने अपना विशाल रूप ले लिया और अपने पैर दो पहाड़ों पर फैला दिए. सभी पशु भीम के पैर से निकल गए लेकिन बैल के रूप में महादेव ये देखकर दोबारा अंतरध्यान होने लगे तभी भीम ने उन्हें पकड़ लिया. पांडवों की भक्ति देखकर शिव प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन देकर सभी पापों से मुक्त कर दिया. तब से ही यहां बैल की पीठ की आकृति पिंड के रूप में शिव को पूजा जाता है.
 
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केदारनाथ धाम की मान्यता 

भारत के पांच पीठों में केदारनाथ धाम सर्वश्रेष्ठ है और यहां तक पहुंचने के लिए लोगों को खतरनाक इलाकों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि यह चार धामों में से सबसे पवित्र माना जाता है। शिव पुराण में कहा गया है कि केदारनाथ में जो तीर्थयात्री जाते हैं उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है और अपने सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं। साथ ही सच्चे मन से जो भी केदारनाथ का स्मरण करता है उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आपको बता दें कि केदारनाथ के पानी को अत्यंत धार्मिक महत्व दिया जाता है। लोगों का कहना है कि अगर आप मंदिर में अपनी प्रार्थना के बाद पानी पीते हैं, तो आपको आपके सभी पापों से मुक्ती मिल जाएगी।  

केदारनाथ धाम के रहस्य 

सनातन धर्म में केदारनाथ को अद्भुत ऊर्जा का केंद्र माना गया है. पहाड़ियों से घिर केदारनाथ तीर्थ की महिमा बड़ी निराली है. यहां पांच नदियों  मंदाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी का संगम होता है. जिसमें अब कुछ नदियों का अस्तित्व खत्म हो गया है.
यहां बाबा के दर्शन से पहले केदारनाथ मार्ग में आने वाले गौरीकुंड में स्नान का विधान है. हर साल भैरव बाबा की पूजा के बाद ही मंदिर के कपाट बंद और खोले जाते हैं. कहते है कि मंदिर के पट बंद होने पर भगवान भैरव इस मंदिर की रक्षा करते हैं. शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है, उसे यात्रा का फल नहीं मिलता. यहां स्थित बाबा भैरवनाथ का मंदिर विशेष महत्व रखता है.

केदारनाथ मंदिर पूजा का समय, आरती का समय, मंदिर खुलने का समय और बंद होने का समय:

मंदिर खुलने का समय:

सुबह 6:00 बजे

मंदिर बंद होने का समय:

रात 9:00 बजे

आरती का समय:

सुबह 7:00 बजे

दोपहर 12:00 बजे

शाम 7:00 बजे

पूजा का समय:

मंदिर खुलने के बाद से लेकर बंद होने तक

ध्यान दें:

उपरोक्त समय सामान्य समय हैं। मौसम और अन्य कारकों के आधार पर इन समयो में बदलाव होता रहता है ।
मंदिर में प्रवेश करने से पहले आपको अपनी जूते- चप्पल उतारने होंगे।
मंदिर में फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है।
मंदिर में मोबाइल फोन का उपयोग करने की अनुमति नहीं है।
मंदिर में प्रवेश करने के लिए आपको ड्रेस कोड का पालन करना होगा।



इस तरह पहुंचे केदारनाथ

हवाई मार्ग - हेलीकॉप्टर सेवाओं के माध्यम से केदारनाथ तक बहुत आसानी से पहुंचा जा सकता है, जो उत्तराखंड के कई  स्थानों से संचालित होती है। कुछ प्रमुख स्थान हैं जहां से आप केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर प्राप्त कर सकते हैं वे हैं: देहरादून, गुप्तकाशी, सिरसी और फाटा।

ट्रेन - केदारनाथ के निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश (215 किलोमीटर), हरिद्वार (241 किलोमीटर) में हैं।

टैक्सी या निजी कार - अगर आप अपना वाहन,कार खुद चलाकर वहां जाना चाहते हैं, तो ये जरूर ध्यान दें कि उसका ग्राउंड क्लीयरेंस अच्छा हो क्योंकि पूरे मार्ग पर चट्टानें बिखरी हुई हैं। गौरीकुंड में पार्किंग की जगह उपलब्ध है लेकिन गेट प्रणाली के कारण, केवल गौरीकुंड और सोनप्रयाग के बीच चलने वाली साझा टैक्सियों को ही वह जगह मिलती है।
 
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