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Parashurama Jayanti 2024: कब है परशुराम जयंती? जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त

jeevanjali Published by: कोमल Updated Wed, 01 May 2024 01:42 PM IST
सार

Parashurama Jayanti 2024 : हर साल वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाती है। इस दिन को अक्षय तृतीया भी कहा जाता है।  परशुराम जी भगवान विष्णु के अवतार हैं। आपको बता दें की जो भी व्यक्ति  भगवान परशुराम की पूजा करता है

परशुराम जयंती?
परशुराम जयंती?- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Parashurama Jayanti 2024 : हर साल वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाती है। इस दिन को अक्षय तृतीया भी कहा जाता है।  परशुराम जी भगवान विष्णु के अवतार हैं। आपको बता दें की जो भी व्यक्ति भगवान परशुराम की पूजा करता है उसे लंबी उम्र का वरदान मिलता है। इसके  साथ ही वो व्यक्ति  शत्रु पर विजय प्राप्त करता है और जीवन में खुशियां आती हैं। आपको बता दें कि परशुराम की जयंती हिन्दु धर्म में बहुत ही धूम-धाम से मनाई जाती है चलिए जानते हैं इस बार परशुराम जयंती कब मनाई जाएगी, इस दिन पूजा का शुभ समय क्या है और भगवान परशुराम जयंती क्यों मनाई जाती है
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भगवान परशुराम कौन हैं 

वैशाख माह में ही सृष्टि के रचयिता भगवान विष्णु ने कूर्म, बुद्ध और परशुराम के रूप में अवतार लिया था। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को परशुराम जयंती मनाई जाती है। इस दिन अक्षय तृतीया भी मनाई जाती है। भगवान परशुराम, भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं जिनका जन्म भार्गव वंश में हुआ था और उनका जन्म त्रेतायुग में हुआ था।

परशुराम जयंती 2024 कब है

इस वर्ष परशुराम जयंती 10 मई 2024, शुक्रवार को पड़ रही है। इसी दिन अक्षय तृतीया भी मनाई जाएगी। भगवान परशुराम ने ब्राह्मणों और ऋषि-मुनियों पर हो रहे अत्याचारों को खत्म किया था। आपको बता दें भगवान परशुराम को समर्पित कई मंदिर  भारत के पश्चिमी तट पर हैं।
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परशुराम जयंती 2024 शुभ मुहूर्त

तृतीया तिथि प्रारम्भ- 10 मई प्रातः 04:17 मिनट पर 
तृतीया तिथि समाप्त - 11 मई सुबह 02:50  मिनट तक.
परशुराम जयंती का शुभ समय- सुबह 07:14 मिनट से सुबह 08:56 मिनट तक
प्रातः पूजा का समय – प्रातः 07:14 – प्रातः 08:56 तक
प्रदोष काल पूजा समय - शाम 05:21 - शाम 07:02 बजे तक
 

भगवान विष्णु ने परशुराम अवतार क्यों लिया?

ब्राह्मणों और ऋषि-मुनियों को अत्याचारों से मुक्ति दिलाने और पृथ्वी से पापी, विनाशकारी और अधर्मी राजाओं का विनाश करने के लिए भगवान विष्णु ने परशुराम जी के रूप में छठा अवतार लिया था। उनके क्रोध से सभी देवी-देवता कांपने लगे। धार्मिक मान्यता के अनुसार, एक बार परशुराम ने क्रोध में आकर भगवान गणेश का दांत तोड़ दिया था।

भगवान परशुराम की पूजा से मिलते हैं ये लाभ

ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम साहस के देवता हैं। परशुराम जी का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र में रात्रि के प्रथम प्रहर में पुत्रेष्टि से हुआ था। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए अच्छे कार्यों का अनंत फल मिलता है और इस दिन पूजा करने से व्यक्ति का साहस बढ़ता है और भय से मुक्ति मिलती है।
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