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Vaishakh Month 2024 Start Date: 24 अप्रैल से वैसाख का महीना आरंभ, जानिए इसका महत्व और क्या करें क्या न करें

jeevanjali Published by: निधि Updated Fri, 19 Apr 2024 04:38 PM IST
सार

Vaishakh Month 2024 Start Date: भारतीय हिन्दू पंचांग के अनुसार सृष्टि के आरंभ के पंद्रह दिन बाद वैशाख मास का आरम्भ होता है। यह पवित्र मास व्यक्ति को व्यष्टि से समष्टि की ओर उन्मुख होने की प्रेरणा देता है।

वैशाख मास 2024 प्रारंभ तिथि
वैशाख मास 2024 प्रारंभ तिथि- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Vaishakh Month 2024 Start Date: भारतीय हिन्दू पंचांग के अनुसार सृष्टि के आरंभ के पंद्रह दिन बाद वैशाख मास का आरम्भ होता है। यह पवित्र मास व्यक्ति को व्यष्टि से समष्टि की ओर उन्मुख होने की प्रेरणा देता है। पुराणों में इस मास को जप, तप, दान का महीना कहा गया है। वैशाख मास के प्रारम्भ होते ही तपिश का वातावरण तैयार हो जाता है इसलिए धार्मिक दृष्टिकोण से इस माह विशेष में वरुण देवता का विशेष महत्त्व होता है। 

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स्कंद पुराण के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने वैशाख माह को सभी महीनों में सर्वश्रेष्ठ बताया है। जैसे सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है। वेदों के समान कोई धार्मिक ग्रन्थ नहीं है। गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं है। इसी प्रकार वैशाख मास के समान कोई मास नहीं है। यह मास माता के समान सदैव समस्त प्राणियों को अभीष्ट वस्तु प्रदान करता है। देवताओं द्वारा पूजित संपूर्ण धर्म यज्ञ, कर्म और तप का सार है। जैसे ज्ञान में वेदविद्या, मंत्रों में प्रणव, वृक्षों में कल्पवृक्ष, धनु में कामधेनु, देवताओं में विष्णु, वर्णों में ब्राह्मण, प्रिय वस्तुओं में प्राण, नदियों में गंगाजी, किरणों में सूर्य, शस्त्रों में चक्र, धातुओं में सोना, देवताओं में वैष्णव . . इसमें शिव हैं और रत्नों में कौस्तुभमणि है, उसी प्रकार धर्म के साधन के लिए पिछले महीनों में वैशाख का महीना सर्वोत्तम है। भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए इस महीने में सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए।

ब्रह्माजी ने वैशाख को माना सर्वश्रेष्ठ
पुराणों के अनुसार वैशाख के महीने में भगवान विष्णु की आज्ञा से जनकल्याण हेतु जल में समस्त देवी-देवता निवास करते हैं। एक प्रसंग के अनुसार जब एक बार राजा अंबरीश दीर्घकाल तक तप के बाद गंगा तीर्थ की ओर जा रहे थे। मार्ग में उन्हें देवर्षि नारद जी के दर्शन हुए। विनयपूर्वक राजा ने देवर्षि से प्रश्न किया-''देवर्षि! ईश्वर ने प्रत्येक वस्तु में किसी श्रेष्ठ कोटी की रचना की है। लेकिन मासों में कौनसा मास सर्वश्रेष्ठ है ? इस पर नारद जी ने कहा- जब समय विभाजन हो रहा था उस समय ब्रह्मा जी ने वैशाख मास को अत्यंत पवित्र सिद्ध किया है। वैशाख मास सब प्राणियों की मनोकामना को सिद्ध करता है। धर्म, यज्ञ, क्रिया और व्यवस्था का सार वैशाख मास में है। संपूर्ण देवताओं द्वारा पूजित एवं भगवान विष्णु को सर्वाधिक प्रिय है।

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दान का मास है वैशाख
इस माह में शिवलिंग पर जल चढाने या गलंतिका बंधन करने का(मटकी लटकाना) विशेष पुण्य बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार इस माह में प्याऊ लगाना, छायादार वृक्ष की रक्षा करना, पशु-पक्षियों के खान-पान की व्यवस्था करना, राहगीरों को जल पिलाना जैसे सत्कर्म मनुष्य के जीवन को समृद्धि के पथ पर ले जाते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार इस माह में जल दान का सर्वाधिक महत्व है अर्थात अनेकों तीर्थ करने से जो फल प्राप्त होता है वह केवल वैशाख मास में जलदान करने से प्राप्त हो जाता है। इसके अलावा छाया चाहने वालों को छाता दान करना और पंखे की इच्छा रखने वालों को पंखा दान करने से ब्रह्मा,विष्णु और शिव तीनों देवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जो विष्णुप्रिय वैशाख में पादुका दान करता है,वह यमदूतों का तिरस्कार करके विष्णुलोक को जाता है।  

वैशाख स्नान के नियम
वैशाख मास के देवता भगवान मधुसूदन हैं। वैशाख स्नान करने वाले साधक को यह संकल्प लेना चाहिए-''हे मधुसूदन! हे देवेश्वर माधव! मैं मेष राशि में सूर्य के स्थित होने पर वैशाख मास में प्रातः स्नान करूंगा,आप इसे निर्विघ्न पूर्ण कीजिए। यह महीना संयम,अहिंसा,आध्यात्म,स्वाध्याय और जनसेवा का महीना है। अतःसेवा किसी भी रूप में हो अधिक से अधिक करनी चाहि धूम्रपान,मांसाहार,मदिरापान एवं परनिंदा जैसी बुराईयों से बचना चाहिए। भगवान विष्णु की सेवा तथा उनके सगुण या निर्गुणं स्वरुप का अनन्य चित्त से ध्यान करना चाहिए।
 
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