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kirtan mein ude re gulal sakhi ri kirtan mein lyrics: कीर्तन में उड़े गुलाल,सखी री कीर्तन में Holi bhajan

jeevanjali Published by: सुप्रिया शर्मा Updated Sat, 23 Mar 2024 04:41 PM IST
सार

"कीर्तन में उड़े गुलाल, सखी री" यह भजन होली के उत्सव का वर्णन करता है। इस भजन में, राधा और उनकी सखियां भगवान कृष्ण के साथ होली खेलने की तैयारी कर रही हैं। वे रंगों, गुलाल और मधुर संगीत से सराबोर वातावरण का वर्णन करती हैं।

होली भजन
होली भजन- फोटो : jeevanjali

विस्तार

ये भजन राधा और कृष्ण के बीच प्रेम और होली के उत्सव का उत्साह इस भजन में स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है। भजन में रंगों के प्रयोग और होली के उत्सव का जीवंत चित्रण किया गया है।राधा और सखियां भगवान कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति और होली के त्योहार का आनंद व्यक्त करती हैं। यह भजन भक्ति और उत्सव के भाव को दर्शाता है। साथ ही होली के त्योहार का सुंदर चित्रण करता है।

|| होली भजन ||
कीर्तन में उड़े गुलाल,सखी री कीर्तन में


कीर्तन में उड़े गुलाल, 
 सखी री कीर्तन में ॥ 

होली खेल रहे नन्दलाल, 
सखी री कीर्तन में ॥ हो ॥ 

होली खेल रहे नन्दलाल, 
सखी री कीर्तन में ॥ 

भर भर झोली केसर रोली, 
     तैयार खड़ी भगतो की टोली ॥ 1 ॥ 

कितना लाल गुलाल उड़ाया, 
नर नारी भर-भर के झोली ॥

अरे मिल रहे बाँहा घाल,
सखी री कीर्तन में  ॥ 1 ॥ 

कीर्तन में उड़े गुलाल,
 सखी री कीर्तन में ॥ 

भगत जनों की पकड़ कलैया, 
नाच रहे हैं कृष्ण कन्हैया ॥

भवसागर से तारने वाले, 
बंशी बजईया नाग नथैया ॥

देख रे देख रे हुआ कमाल,
 सखी री कीर्तन में ॥

कीर्तन में उड़े गुलाल,
सखी री कीर्तन में ॥ 1 ॥ 

साज सुरीले भजन रसीले, 
छम-छम नाचै छैल छबीले ॥

 भांत-भांत के रंग उड़ाये, 
लाल हरे और नीले-पीले ॥ 

मिल-मिल के बैरागी सुरताल ॥
     सखी री कीर्तन० ॥

कीर्तन में उड़े गुलाल,
 सखी री कीर्तन में ॥ 1 ॥ 
 
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