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Bathing Barefoot In The River: नदी में क्यों करते हैं नंगे पैर स्नान, जानिए धार्मिक महत्व

jeevanjali Published by: कोमल Updated Thu, 02 May 2024 06:24 PM IST
सार

Bathing Barefoot In The River: सनातन धर्म में प्रकृति को विशेष महत्व दिया गया है। यही कारण है कि विशेष तिथियों पर विभिन्न पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों और नदियों की पूजा की जाती है। 

नदी में नंगे पैर नहाना:
नदी में नंगे पैर नहाना:- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Bathing Barefoot In The River: सनातन धर्म में प्रकृति को विशेष महत्व दिया गया है। यही कारण है कि विशेष तिथियों पर विभिन्न पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों और नदियों की पूजा की जाती है। पवित्र नदियों में स्नान से पुण्य प्राप्त करने का वर्णन भी धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। आइए हम आपको बताते हैं कि नदियों में बिना चप्पल या नंगे पैर स्नान करने का नियम क्यों है। हम इसके वैज्ञानिक कारण और महत्व के बारे में भी जानेंगे।

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नदी में नंगे पैर क्यों नहाना चाहिए?

स्नान करने से ऊर्जा का संचार होता है और मानसिक शांति मिलती है। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और पृथ्वी की ऊर्जा से संबंध बना रहता है। स्नान की यह प्राचीन परंपरा महत्वपूर्ण है, जिसे आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए विशेष माना जाता है। नदी में सदैव नंगे पैर ही स्नान करना चाहिए। नदी में नंगे पैर नहाने से नदियों से निकलने वाली ऊर्जा आपके शरीर में प्रवेश करती है और इससे शरीर को कई फायदे मिलते हैं।

जानिए इसका ज्योतिषीय महत्व और समय

स्नान विशेष रूप से सूर्योदय और सूर्यास्त के समय करने का सुझाव दिया जाता है क्योंकि इस समय पृथ्वी की ऊर्जा विशेष रूप से अधिक होती है और यह स्नान करने वाले के शरीर के सभी चक्रों को सक्रिय करने में मदद करती है। सनातन धर्म में स्नान का महत्व बहुत अधिक है और इसके पीछे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही कारण महत्वपूर्ण हैं। प्राचीन ग्रंथों में स्नान के समय और नियमों का महत्व बताया गया है, जैसे सूर्योदय और सूर्यास्त के समय स्नान का महत्व। स्नान के लिए इन नियमों का पालन करने से लोगों को विशेष लाभ मिलता है।

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वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं स्वास्थ्य लाभ

नदी में नंगे पैर नहाना न केवल धार्मिक दृष्टि से शुभ माना जाता है, बल्कि वैज्ञानिक और स्वास्थ्य लाभ से भी जुड़ा है। नदी में नंगे पैर स्नान करना एक पवित्र और ध्यानपूर्ण गतिविधि मानी जाती है जो आत्मा को शुद्ध और उत्तेजित करती है। हिंदू धर्म में नदियों को मां गंगा, यमुना, सरस्वती आदि के रूप में पूजा जाता है। नदी में स्नान करने से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि होती है और पुराने पापों का प्रायश्चित होता है। यह जल संरक्षण को भी बढ़ावा देता है क्योंकि लोग स्नान के समय नदी को साफ और स्वच्छ रखने का प्रयास करते हैं।

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