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Akshaya Tritiya 2024: आखिर क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया ? जानिए इसके पीछे के कारण

jeevanjali Published by: निधि Updated Wed, 01 May 2024 03:47 PM IST
सार

Akshaya Tritiya 2024: हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का बड़ा महत्व है। यह एक ऐसा दिन है जहां आपको कोई भी शुभ काम करने के लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं है।

Akshaya Tritiya 2024: आखिर क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया ?
Akshaya Tritiya 2024: आखिर क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया ?- फोटो : JEEVANJALI

विस्तार

Akshaya Tritiya 2024: हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का बड़ा महत्व है। यह एक ऐसा दिन है जहां आपको कोई भी शुभ काम करने के लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं है। हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यह उत्सव मनाया जाता है। इस साल अक्षय तृतीया का पर्व 10 मई को बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा। आइए जानते हैं उन 5 बड़े कारणों के बारे में जिनके कारण यह पर्व इतना शुभ है। 
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अक्षय तृतीया पर हुआ था भगवान परशुराम का जन्म

 श्री हरि विष्णु के अवतार भगवान परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया के दिन हुआ था। उन्होंने ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के घर जन्म लेकर पृथ्वी को धन्य कर दिया। भगवान परशुराम अमर हैं और इस दिन उनकी पूजा की जाती है।

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मां गंगा स्वर्ग से धरती पर

 अक्षय तृतीया के दिन ही मां गंगा स्वर्ग से धरती पर आईं थीं। राजा भागीरथ ने हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या की और शिव की कृपा से अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाए। इस दिन पवित्र और निर्मल गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के पाप नष्ट हो जाते हैं।

माता अन्नपूर्णा का जन्म भी अक्षय तृतीया पर हुआ

हिन्दू धर्म के अनुसार रसोई में निवास करने वाली माता अन्नपूर्णा का जन्म भी इसी दिन हुआ था। इसलिए इस दिन भंडारा करके गरीबों को खाना खिलाने की परंपरा है। इस दिन जो भी व्यक्ति माता अन्नपूर्णा की पूजा करता है, उसके घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है।

अक्षय तृतीया के दिन महाभारत लिखना की हुई थी शुरूआत

अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु के अवतार महर्षि वेदव्यास ने महाभारत लिखना प्रारंभ किया था। महाभारत को पांचवां वेद कहा गया है। इस महाभारत में भगवत गीता भी शामिल है। इसलिए इस दिन गीता के 18वें अध्याय का पाठ करना चाहिए।

अक्षय तृतीया के दिन  युधिष्ठिर को हुई अक्षय पात्र की प्राप्ति

अक्षय तृतीया के शुभ दिन पर पांडवों के सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर को अक्षय पात्र प्राप्त हुआ। इसकी खासियत यह थी कि इसमें खाना कभी खत्म नहीं होता था। इसलिए इस दिन से ही किसान रबी की फसल के बाद खाली पड़े खेतों की जुताई शुरू कर देते हैं।

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