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Shri Ram Stuti: श्री रामचंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।, राम स्तुति का पाठ सम्पूर्ण

जीवांजलि डेस्क Published by: सुप्रिया शर्मा Updated Tue, 23 May 2023 03:42 PM IST
सार

Shri Ram Stuti: श्री रामचंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्। यह राम स्तुति गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित 16 वीं शताब्दी का एक स्तुति गान है। इस में श्रीराम प्रभु के अद्भुत गुण एवं शौर्य का वर्णन है।

श्री राम स्तुति
श्री राम स्तुति- फोटो : jeevanjali

विस्तार

Shri Ram Stuti: श्री राम स्तुति का पाठ सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ करना चाहिए, भगवान श्री राम सृष्टि के पालन हार हैं वे सब की सुनते हैं और सभी की  मनोकामना को पूरा करते हैं 
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श्री राम स्तुति || Shri Ram Stuti ||


॥दोहा॥

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन 
हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, 
कंज पद कन्जारुणम् || 1 ||

कंदर्प अगणित अमित छवी
नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि,
नौमी जनक सुतावरम् || 2 ||

भजु दीन बंधु दिनेश दानव 
दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल,
चंद दशरथ नन्दनम् || 3 ||

सिर मुकुट कुण्डल तिलक 
चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर,
संग्राम जित खर-धूषणं || 4 ||
 
इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु,
कामादी खल दल गंजनम् || 5 ||

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो 
बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान शील,
स्नेह जानत रावरो || 6 ||

एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि,
मुदित मन मन्दिर चली || 7 ||

।।सोरठा।।

जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि। 
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे || 
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